Holi kyu manaya jata hai | होली क्यों मनाई जाती है

5/5 - (1 vote)

Holi kyu manaya jata hai: दोस्तों यह बात हम सभी लोग जानते हैं कि भारत देश एक त्योहारों से भरा हुआ देश है जहां पर हर महीने कोई ना कोई त्यौहार तो आ ही जाता है फिर चाहे वह हिंदुओं को हो या मुस्लिम सिख हो या इसाई हर व्यक्ति के धर्म से त्यौहार तो आते रहते हैं।

भारत देश के अंदर हर त्यौहार का खुद का एक अपना अंदर से महत्व होता है और हर त्योहार के पीछे कारण छुपा होता है। आप में से कई लोगों को त्योहारों का बहुत शौक होगा और कोई लोगों को हर त्यौहार में आनंद और उल्लास बना रहता है।

वैसे तो हमारे देश में बहुत सारे त्यौहार है लेकिन आज मैं आपको होली त्यौहार के बारे में कुछ जानकारी देने वाला हूं। आप मे से बहुत सारे लोगों को होली का त्योहार बहुत ही पसंद आता होगा और कई लोगों का तो यह पसंदीदा दिन होगा जहां लोग रंगों से और पानी से होली खेलते हैं और आनंद उठाते हैं।

हम सभी लोग हर साल होली खेलते हैं और होली के 1 दिन पहले हम होलिका को जलाते हैं और इसके पीछे हम एक कहानी भी जानते हैं लेकिन इसके बावजूद भी मित्रों क्या आपको पता है की holi kyu manaya jata hai? अगर आप यह नहीं जानते तो आज मैं आपको बताने वाला हूं कि होली के पीछे क्या रहस्य है जिसकी वजह से भारत में हर साल होली खेली जाती है?

holi kyu manaya jata hai

होली त्यौहार के बारे में – Holi kyu manaya jata hai

दोस्तों आप में से कई सारे लोगों को होली का त्योहार बहुत ही पसंद होगा और आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि यह त्यौहार वसंत ऋतु के दौरान फागुन महीने में मतलब की अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक मार्च महीने के अंदर आता है जिसे पूर्णिमा के दिन त्यौहार मनाया जाता है।

लेकिन यह बात सामने आती है कि holi kyu manaya jata hai? तो उसके पीछे भी एक कहानी छुपी हुई है जो हम आपको आज बताएंगे। बसंत ऋतु के दौरान आने वाला यह त्यौहार पर सर्दियों का अंत आता है और गर्मी की शुरुआत होती है और यह त्यौहार सबसे ज्यादा खुशी देने वाले त्योहारों में से एक है।

होलिका के दिन हमें किस बात का ध्यान रखना चाहिए

होलिका के दिन हमें किस बात का ध्यान रखना चाहिए?

होली के दिन क्या करना है यह बात हमें पता होनी चाहिए। होली खेलते समय हमें हमेशा नेचुरल यानी कि प्राकृतिक रंगों से ही होली खेलनी चाहिए जिससे हमारे त्वचा को कोई भी प्रकार का नुकसान ना हो और कभी भी पक्के रंगों से होली ना खेले।

हम जब भी होली के दिन खेलने जाए तो हमेशा पूरे शरीर ढक जाए वैसे कपड़े पहनने चाहिए क्योंकि हमें यह नहीं पता होता कि सामने वाला व्यक्ति जो कलर लगा रहा है वह नेचुरल है या केमिकल वाला? इसीलिए अगर हमारा पूरा शरीर ढका का हुआ होगा तो हमारे त्वचा को प्रोटेक्शन मिलेगा।

होली खेलने से पहले हमेशा अपने शरीर पर किसी भी प्रकार का तेल लगा लेना चाहिए क्योंकि होली खेल लेने के बाद जब हम स्नान करने बैठे तो हमारे शरीर पर लगे रंग बहुत ही आसानी से निकल जाए। स्नान करते समय अगर हम रंग निकालने में नाकामयाब रहे या शारीरिक तौर पर कोई तकलीफ हो तो जितना हो सके जल्द अस्पताल में चले जाना चाहिए।

अगर आपको अस्थमा है और आप होली खेल रहे हैं तो थोड़ा सावधानी से खेलने चाहिए क्योंकि थोड़ी सी भी धूल मिट्टी या कलर की वजह से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है इसलिए होली खेलते समय हो सके तो फेस मास्क लगाके होली खेलने का प्रयास कीजिए।

होली पर्व का क्या महत्व है?

हर त्यौहार की तरह होली त्यौहार का भी अपना एक महत्व है और प्राचीन ऋषि-मुनियों के मुताबिक हर त्यौहार में कुछ ना कुछ महत्व छुपा हुआ रहता है जिसका कारण है कि हम त्यौहार मनाते हैं।

हमारे जीवन में हो रही है आने वाली कठिनाइयों से जूस कर और उस से लड़ कर आगे बढ़ने का एक संकेत देती है होली का त्यौहार। अगर हम अपने जीवन के हर काम में सही है तो ईश्वर भी हमारे सही काम के बदले हमारा साथ देगा इस चीज का महत्व दर्शाता है।

जैसे प्रहलाद भगवान विष्णु के भक्त थे और उनकी भक्ति के कारण आग में होते हुए भी प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ वह एक संकेत है कि जीवन में अच्छा काम करते हैं तो ईश्वर भी हमारा साथ देता है। होली अकेला ही नहीं बल्कि हमें यह भी पता होना चाहिए कि holi kyu manaya jata hai? क्योंकि मात्र त्यौहार सेलिब्रेट करने से नहीं बल्कि उसके बारे में डिटेल में जानकारी लेना भी जरूरी है।

होली त्यौहार का इतिहास

होली त्यौहार का इतिहास

दोस्तों होली नाम का त्योहार भारत की प्राचीन संस्कृति और पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार प्राचीन समय से ही मनाया जाने वाला त्यौहार है। लेकिन कई बार कई लोगों को पता ही नहीं है कि holi kyu manaya jata hai? इसके लिए हम आपको पूरी जानकारी दे रहे हैं।

होली त्यौहार भारत का बहुत ही प्राचीन त्योहारों में से एक है और यह प्राचीन समय से मनाया जा रहा है। होली त्यौहार को पहले होलीका, होली और होलका जैसे नामों से पुकारा जाता था। वसंत ऋतु में आने वाले इस पर्व को हर्षोत्सव के नाम से भी पुकारा जाता है।

होली त्यौहार हिंदू धर्म के लोगों के लिए एक सांस्कृतिक,  धार्मिक और पारंपरिक त्योहार माना जाता है। होली त्यौहार भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग अलग तरीके से मनाया जाने वाला त्यौहार है। इनमें से कई प्रांतों की विचारसरणी और त्यौहार मनाने का तरीका अलग अलग होता है तो कई लोगों का त्यौहार और विचारसरणी एक प्रकार से होती है।

होली त्यौहार को क्यों मनाया जाता है?

होली त्यौहार को क्यों मनाया जाता है?

आप में से शायद सभी लोग होली त्यौहार तो खेलते होंगे लेकिन क्या आपको पता है की holi kyu manaya jata hai?

माना जाता है कि भारत के प्राचीन समय में राक्षसी प्रवृत्ति करने वाला एक व्यक्ति जिसका नाम हिरण्यकश्यप था जो सालों साल तपस्या किया करता था और उसे अमर होने का वरदान मिला था। यह वरदान की वजह से उसे घमंड आ गया और अपने आप को ही भगवान समझ बैठा और वहां लोगों से अपनी पूजा करने का दबाव डालता था।

अजर हिरण्यकश्यप की प्रजा ऐसा ना करें तो उन पर जुल्म करता था और यह चीज करने का दबाव डालता था। लेकिन हिरण्यकश्यप का ऐसा करने का मुख्य कारण था कि वह अपने भाई का बदला लेना चाहता था जिसे भगवान श्री विष्णु ने मौत के घाट उतार दिया था।

हिरण्यकश्यप के 2 पुत्र थे उनमें से छोटे पुत्र का नाम प्रहलाद था। हिरण्यकश्यप का छोटा पुत्र प्रहलाद भगवान श्री विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था और पूरे दिन उनकी ही आराधना करता था और यह बात उनके पिता यानी कि हिरण्यकश्यप जरा भी पसंद नहीं आती थी।

हिरण्यकश्यप अपने बेटे से भगवान विष्णु की पूजा ना करें यह रोकने का बहुत बार प्रयत्न करता था लेकिन हर बार वह असफल रहता था। हिरण्यकश्यप के बार बार कहने पर भी प्रह्लाद उनकी बात ना मानता और भगवान विष्णु की भक्ति करते रहता था।

हिरण्यकश्यप को जरा भी पसंद नहीं था कि उनका बेटा भगवान विष्णु की आराधना करें इसलिए उन्होंने प्रार्थना रोकने का बहुत प्रयत्न किया और अपने बेटे को भी बहुत समझाया कि वह अब से भगवान विष्णु की भक्ति ना करें लेकिन प्रहलाद बात मानने वालों में से नहीं था और अपनी भक्ति को चालू रखा था।

लाख बार कहने पर भी ना मानने की वजह से प्रहलाद की पिता यानी कि दुष्ट राजा हिरण्यकश्यप को इतना क्रोध आया कि इन्होंने सोच लिया कि अब वह अपने छोटे बेटे प्रहलाद को मौत के घाट उतार देंगे। राजा की बात ना मानने की वजह से प्रहलाद को जिंदा जलाकर मारने का निर्णय लिया गया था हिरण्यकश्यप के द्वारा और उस पर अमल भी किया गया।

प्रहलाद को मारने के लिए दुष्ट राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी सगी बहन होलिका को अपने महल के अंदर बुलाया था। हिरण्यकश्यप की तरह उनकी बहन होलिका को भी भगवान के द्वारा वरदान मिला था कि उन्हें एक वस्त्र मिले थे जिसका नाम शौल था जिसे पहनकर अगर वह आग में बैठे तब भी वह नहीं चल सकती!

दुष्ट राजा हिरण्यकश्यप के षड्यंत्र के अनुसार होलिका प्रहलाद को अपने गोद में बिठाकर अग्नि में बैठ जाएंगी और प्रह्लाद वहा ही भस्म में हो जाएगा। जब षड्यंत्र के अनुसार होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठी तब प्रहलाद भगवान से हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगा।

भगवान विष्णु ने उनकी विनती को स्वीकार करते हुए तेज हवा का जोका आया और होलिका ने जो वस्त्र पहने थे वह तेज हवा की गति के चलते वरदान मिला हुआ वस्त्र उड़ गया और होली का वही आग में जलकर भस्म हो गई।

इसी तरीके से होली का आग में भस्म में हो गई और भक्त प्रहलाद को कोई भी इजा ना होई और वह सुरक्षित बच गए और इसी तरीके से भारत में हर साल होली का त्यौहार मनाया जाता है। इस कहानी के तहत हमें सीखना मिलता है कि बुराई की हार होती है और सच्चाई की हमेशा जीत होती है।

Read More About: Cycle ka avishkar kisne aur kab kiya tha

Conclusion

तो यही एक कारण है कि भारत में हर साल होली मनाया जाता है और आशा रखता हूं कि आपको आज पता चल गया होगा कि holi kyu manaya jata hai? और उसके पीछे का कारण क्या था? अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।